25 मार्च को नव संवत्सर के साथ ही चैत्र माह की नवरात्रि भी शुरू हो जाएगी। इस दौरान वसंत ऋतु होने के कारण इसे वासंती नवरात्र भी कहा जाता है। सालभर में 2 गुप्त और 2 प्राकट्य नवरात्र होते हैं। इन्ही 2 प्राकट्य नवरात्र में से पहली और प्रमुख नवरात्रि चैत्र माह में आती है। जो कि इस बार 25 मार्च से 2 अप्रैल तक रहेगी। काशी के ज्योतिषाचार्य पं. गणेश मिश्रा के अनुसार इस बार कोई भी तिथि क्षय नहीं होगी जिससे नवरात्रि पूरे 9 दिनों की रहेगी।
सालभर में 2 गुप्त और 2 प्राकट्य नवरात्रि
हिंदू कैलेंडर के अनुसार पूरे साल में 4 बार नवरात्रि मनाई जाती है। इनमें से मार्च-अप्रैल और सितंबर-अक्टूबर में प्राकट्य नवरात्रि एवं जनवरी-फरवरी और जून-जुलाई में आने वाली नवरात्रियों को गुप्त नवरात्रि कहा जाता है। प्राकट्य नवरात्रियों में नवदुर्गा की पूजा की जाती है। वहीं गुप्त नवरात्रि में सिद्धि प्राप्त करने के लिए विशेष मंत्र जाप के साथ देवी के महाविद्या स्वरूपों की पूजा की जाती है।
चैत्र नवरात्र का महत्व
मान्यताओं के अनुसार चैत्र नवरात्रि के पहले दिन मां दुर्गा का प्राकट्य हुआ था और मां दुर्गा के कहने पर ही ब्रह्माजी ने सृष्टि का निर्माण किया था। इसलिए चैत्र शुक्ल प्रतिपदा से हिंदू नववर्ष प्रारंभ होता है। इसके अलावा भगवान विष्णु के सातवें अवतार भगवान राम का जन्म भी चैत्र नवरात्रि में ही हुआ था।